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एनएल चर्चा 52: सामान्य श्रेणी को आरक्षण, सीबीआई विवाद, राहुल गांधी का बयान और अन्य

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Synopsis

की जरूरत थी जो कि महज 48 घंटे में संसद के दोनों सदनों में पास हो गया. किसी भी बिल को पास करने की एक लंबी चौड़ी प्रक्रिया होती है, घंटों बहस चलती है उस पर विचार विमर्श किया जाता है, ज्यादा से ज्यादा लोगों के विचार उसमें शामिल होते हैं. लेकिन यहां एक हड़बड़ी नजर आती है. संविधान संशोधन में इतनी जल्दबाजी ठीक है?”इसका जवाब देते हुए आनंद ने कहा, “आरक्षण पर अंबेडकर ने कहा था कि आरक्षण तात्कालिक है और इसका प्रतिशत कम ही होना चाहिए. कुछ राज्यों में इसे बढ़ाया गया जैसे तमिलनाडु में जनसंख्या के आधार पर आरक्षण 50% से बढ़ाकर 67% कर दिया गया, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा 10% आरक्षण बढ़ाना पैंडोरा बॉक्स खुलने जैसा है. अब केंद्र सरकार ने एक शुरुआत कर दी है. इससे बाकी समुदायों में भी आरक्षण पाने की होड़ लग सकती है. इसके अलावा ऐसा नहीं है कि आरक्षण मिलने से नौकरी मिल जाएगी. 10% आरक्षण के लिए जो क्राइटेरिया तय किया गया है उसके हिसाब से भारत की 95% आबादी आरक्षण के लिए योग्य है. अब उसमें तो प्रतिस्पर्धा बनी ही रहेगी यह सवर्णों के लिए खुद बहुत कंफ्यूज करने वाली स्थिति है.”चर्चा को आगे बढ़ाते हुए अतुल ने सिद्धांत से सवाल किया, “आरक्षण